सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक न्यासी सिद्धांत को कृत्रिम तालाबों तक बढ़ाया
अधिवक्ता सुधाकर कुमार | गुलकिशन एडवोकेट्स चेंबर
9 अक्टूबर 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर की फुताला झील विवाद में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि **सार्वजनिक न्यासी (public trust) सिद्धांत** केवल प्राकृतिक जल स्रोतों तक सीमित नहीं है, बल्कि **कृत्रिम तालाबों, जलाशयों और मानव-निर्मित जल निकायों** तक लागू होता है। :contentReference[oaicite:6]{index=6} न्यायमंडल ने यह स्पष्ट किया कि ये जल निकाय सार्वजनिक हित में बनाए एवं संरक्षित किए जाएँ, और किसी निजी हित या व्यावसायीकरण के अधीन न हों। :contentReference[oaicite:7]{index=7}
मुख्य कानूनी निष्कर्ष एवं सिद्धांत
- न्यासी सिद्धांत राज्य को जल निकायों के संरक्षक की जिम्मेदारी देता है — चाहे वे कृत्रिम हों — उनका उपयोग सार्वजनिक उद्देश्य के लिए, विक्रय पर रोक और संरक्षित पर्यावरण के लिए। :contentReference[oaicite:8]{index=8}
- जल निकायों की पारिस्थितिक भूमिका को बचाना अनिवार्य है; इन्हें बेचा नहीं जाना चाहिए। :contentReference[oaicite:9]{index=9}
- यह निर्णय **अनुच्छेद 21**, **अनुच्छेद 48‑A**, **अनुच्छेद 51A(g)** सहित पर्यावरण सम्बन्धी संवैधानिक जाँच को पुष्ट करता है। :contentReference[oaicite:10]{index=10}
नीति, योजना एवं न्यायालयीन प्रभाव
- नगर नियोजन एवं पुनर्विकास परियोजनाओं में जल निकायों (कृत्रिम या प्राकृतिक) की पर्यावरणीय समीक्षा और सार्वजनिक उपयोग की बाध्यताएँ बढ़ेंगी।
- राज्य और नगरपालिका प्राधिकरणों को अधिक ट्रस्टी दायित्वों को स्वीकार करना होगा — रख-रखाव, पुनरुद्धार और सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित करना।
- विरोधी पक्ष अब किसी निजीकरण या जल निकायों की बिक्री को न्यायालय में चुनौती दे सकेंगे।
- विधायी सुधार की संभावना — जल अधिनियम, नगरपालिका अधिनियम, पर्यावरण कानूनों में संशोधन संभव है।
हितधारकों के लिए रणनीति सुझाव
विधि फर्म और पर्यावरण NGO को जल निकायों के पुनर्विकास प्रस्तावों पर निगरानी रखनी चाहिए और PIL, हस्तक्षेप याचिकाएँ तैयार करनी चाहिए। नगरपालिका निकायों को जल निकाय सूची, रिकॉर्ड रक्षण और सार्वजनिक उपयोग प्राविधान तैयार करना चाहिए। न्यायालयों के लिए मानक प्रारूप तैयार किया जाना चाहिए जो न्यासी दायित्व, विवाद निवारण एवं अवहेलनाएँ पहचानें।
निम्न सूचना: यह लेख सामान्य कानूनी जानकारी के प्रयोजन हेतु है और किसी विशिष्ट कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है।
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